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नक़ल से असल अच्छा

abhi.aadi
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एक समय मुझे मेरी बहूरानी ने यह संदेश मुझे भेजा था ,
दूसरे की चाल को देखकर अपनी चाल नहीं बदलनी चाहिए . यदि आज का समय पैसे को महत्व देता है, तो भी अपनी चादर के अनुसार ही अपने पैर फैलाने चाहिए. मेहनत से कमाया पैसा ही असली पहचान है, पैसा आते ही लोगो की नजरे बदल जाती है. पैसा जाते ही फिर से बदल जाते है .इसलिए एक  अच्छा इन्सान बनना जरूरी है, न कि पैसे से अच्छा इन्सान बनना.
उसका यह संदेश आज के समाज के लिय कितना महत्वपूर्ण है.

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