abhi.aadi
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देश और नेता
ये दोनों एसे शब्द हैं जो एक दुसरे के पर्याय हैं आदि अनादी काल से यह परम्परा रही है कि राजा या कोई मुखिया देश की ” राज्य नीति ‘ को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपना उतरदायित्व निभाते रहें हैं
पर आज समय के अनुसार सभी परिभाषाएं बदल गयीं आज हर कोई केवल अपने
घोर नीजी स्वार्थ पर अपना ध्यान केन्द्रित कररहा है जब हम घर में भी अपना स्वार्थ आगे रखने लगे हैं फिर देश के नेताओं से हमारी आशा रखना शायद ??????????एक एसा प्रशन है जिसका उतर किसीके पास नहीं होगा
यह भी सही है कि हमे अपना कार्य क्षेत्र भली भाँती करना चाहिए पर कथनी और करनी का अंतर हम दूसरों का मूल्यांकन करते समय भूल जाते हैं
मन में आज एक प्रशन है कहाँ हो एसा नेता जो हो कर्मशील
करे देश का उद्धार मन वचन से हो शालीन
पर नीब्द खुल गयी वो सपना देखा जो बनकर रह गया एक प्रशन ?????????????????
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