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भगवन से बात

abhi.aadi
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एक दिन मैंने क्र डाली भगवन से कुछ बात
भगवन उस दिन बोले नहीं चुप रहे शांत रहे
पर मैं थरा बड़ा जिद्दी अड़ा रहा अपनी
आज तो सुननीपड़ेगी मेरी बात
भगवन यह मेरी नहीं मेरे अपनों की है बात

भगवन बोले जब तब आजाता है लेकर अपनी बात
पर आज करता अपनों की बात तो चल सुन लेता हूँ
भगवन क्र दो मेरे अपनों को खुश दे दो उनको
कुछ अच्छे दिन अच्छा स्वास्थ अच्छी जिन्दगी
वे रहे हर हाल में खुश मई याचक तं दाता
दे दो उनको बीएस चार दिन की अच्छी जिन्दगी

भगवन कुछ जागे बोले बस चार दिन
मैं बोला बस चार दिन एक गर्मी एक सर्दी एक बारिश
और बस एक सिशरऋतू का दिन भगवन ठीक है बस चार दिन
पर मै गया नहीं भगवन बोले अब तू जा पर मैं ?
भगवन नराज न हो दे दो बस तीन दिन
बस तीन दिन हाँ एक आज एक कल और आने वाला कल
मैं फिर वंही देखता रहा भगवन नराज न हो दे दो बस दो दिन

भगवन बोले चल ठीक है दे देता हूँ चल दो दिन
हाँ हाँ बस एक उजला दिन एक रात का दिन
मैंने चालाकी से मांग लिये अपनों के खुशी के रात दिन
पर मैं था बड़ा जिद्दी गया नहीं
मैं था याचक अपनों की भीख मांग रहा था
भगचं थोरा शांत रहो दे बस एक दिन
अब भगवन ने जोर से कहा जा दे दिया एक दिन

हाँ हाँ भगवन बस एक दिन उनके जीवन का हर दिन साल का हर दिन
सुबह का दिन रात का दिन पल पल का दिन दे दो उनके जीवन का हर दिन
अब भगवन बड़े जोर से फिर से हंसे
बोले जा दे दिए तेरे अपनों के अच्छे दिन
तुने अपने लिए नहीं अपनों के लिये मांगे
जा दे दिए तेरे अपनों की खुशी
जो दूसरों के लिये माँगता है
मैं उसे निराशा नहीं आशा दे देता हूँ

तो मेरे साथियो भगवन से अपनों की खुशी मांगो
तो अपनी खुशी खुद मिल जाती है

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