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यह एक सच्ची घटना है जीवन में किसी को अपने पिता ;अपने :पति और अपने पुत्र के साथ जीवन भर अपमान से ही समझोता करना पड़ा|
यह आज से लगभग 66 वर्ष पुरानी है जब उसका जन्म हुआ तो माँ को पति खाना नहीं मार मिली और बेटी को आते जाते जूतों की ठोकरें मिली
उस बेटी को सूखे का रोग हो गया एक वर्ष बाद एक और बेटी हुई तो उसे जान से मार दिया गया जब चार साल बाद बेटा हुआ तो उस सूखे की रोगी बेटी को उसकी नोकरी में लगा दिया
शायद भगवान उस अनचाही बेटी को उसके कुछ पुराने जन्मों का दंड देना चाहता था उसमे कुछ अकलकी कमी थी अपनी class में भी कुछ पीछे ही थी और तकदीर में तो जीवन भर ही रही
कुछ सुंदर थी घर बैठे बैठे ही शादी का रिश्ता आगया तो शादी के बाद पता चला पति को पत्नी नहीं अपनी पहली साथ रहने वाली ओरत के लिए और उसके बच्चों के लिए नोकरानी चाहिए थी
दुर्भाग्य उआ सोभाग्य से उसके एक पुत्र हो गया वहलडकी थी बड़ी आत्म स्वाभिमानी अब उसने अपना जीवन अपने अनुसार व्यतीत करना चाहा
अब शायद उसके पिता को अपनी गलती महसूस हुई तो उसने उसे आगे पड़ने में सहायता की एक शहरमें उसने अपनी बेटी की शादी जानते हुए भी ऐसे लडके से कर दी थी जँहा
एक ओरत और उसके चार बच्चे पहले से थे उस कीमत की मारी लडकी ने पढलिख कर बिना किसी की मदद के एक चोटी से नोकरी की अपने बेटे को एक अच्छा इन्सान बनाना उसका उद्देश्य था शहर शहर नोकरी करते करते अपने पिता के घोर स्वार्थ से मकसद को न समझते हुए वो जीवन भर सबकी नोकरी करती रही अपने पुत्र की शादी भी केवल अपने बल पर कर दी तो शादी के बाद पुत्र ने भी अपना मतलब पूरा होती ही उसका अपमान करना शुर कर दिया
जब जीवन की एस दुखों और घोर स्वार्थ से भरी कथा को सूना तो दस दिन तक तन मन मुझे झकझोरता रहा उसके जीवन के दुःख इतने किशायद मेरे पास न तो इतने शब्द हैं ना इतना????????
बीएस उसके ही श्ब्द्दों में कहना चौं तो _____________
क्या करोगे सुन मुझसे मेरी कहानी बेलुत्फ जिन्दगी के किस्से हैं फीके फीकें
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