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मन से बात

abhi.aadi
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मन से बात
अकेला पन करा देता है इन्सान को मजबूर से मजबूर
देखा कित नों को अपने से बातें करते; होकर ;लाचार
किसी से सूना था भगवान एक दरवाजा बंद करता है
तो दो दरवाजे खोल देता है पर अकेलेपन के आगे सब मजबूर
मन की शक्ति जो थी लोहे से भी मजबूत वो भी हो जाती लाचार
जब तक थी आशा तब तक थी निराशा से आगे जाने की आदत
किसी से यह भी सूना था नेक नीयत और बद किस्मत सदा साथ नहीं होते
पर जब कोई भी न साथ तो लगता सब बकवास इन्सान हालात के आगे लाचार
जब देखा किसी को दुखों से बेबस मन कहता नीयत किस्मत कुछ नहीं
अगर है तो इन्सान अपने अकेलेपन से बेबस लाचार मजबूर
शायद यही जीवन का सच इन्सान अकेला आया था तो अकेला जाएगा
पर हम सब जीवों की फितरत तो देखो हर पल साथ चाहने को आतुर
एक चींटी भी अकेले नहीं चलती फिर हम तो हर पल बातों को आतुर
क्यों इतने बेबस _________________

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